Tuesday, March 27, 2018

CBSE PORTAL : CBSE Class-9 Syllabus 2018-19 (Mathematics)

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CBSE Class-9 Syllabus 2018-19 (Mathematics)

Posted: 27 Mar 2018 04:09 AM PDT

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CBSE Class-9 Syllabus 2018-19 (Mathematics)

The Syllabus in the subject of Mathematics has undergone changes from time to time in accordance with growth of the subject and emerging needs of the society. The present revised syllabus has been designed in accordance with National Curriculum Framework
2005 and as per guidelines given in the Focus Group on Teaching of Mathematics which is to meet the emerging needs of all categories of students. For motivating the teacher to relate the topics to real life problems and other subject areas, greater emphasis has been laid on applications of various concepts.
The curriculum at Secondary stage primarily aims at enhancing the capacity of students to employ Mathematics in solving day-to-day life problems and studying the subject as a separate discipline. It is expected that students should acquire the ability to solve problems using algebraic methods and apply the knowledge of simple trigonometry to solve problems of height and distances. Carrying out experiments with numbers and forms of geometry, framing hypothesis and verifying these with further observations form inherent part of Mathematics learning at this stage. The proposed curriculum includes the study of number system, algebra, geometry, trigonometry, mensuration, statistics, graphs and coordinate geometry, etc.
The teaching of Mathematics should be imparted through activities which may involve the use of concrete materials, models, patterns, charts, pictures, posters, games, puzzles and experiments.

Objectives

The broad objectives of teaching of Mathematics at secondary stage are to help the learners to:

  • consolidate the Mathematical knowledge and skills acquired at the upper primary stage
  • acquire knowledge and understanding, particularly by way of motivation and visualization, of basic concepts, terms, principles and symbols and underlying processes and skills
  • develop mastery of basic algebraic skills
  • develop drawing skills
  • feel the flow of reason while proving a result or solving a problem
  • apply the knowledge and skills acquired to solve problems and wherever possible, by more than one method
  • to develop ability to think, analyze and articulate logically
  • to develop awareness of the need for national integration, protection of environment, observance of small family norms, removal of social barriers, elimination of gender biases
  • to develop necessary skills to work with modern technological devices and mathematical softwares.
  • to develop interest in mathematics as a problem-solving tool in various fields for its beautiful structures and patterns, etc.
  • to develop reverence and respect towards great Mathematicians for their contributions to the field of Mathematics
  • to develop interest in the subject by participating in related competitions
  • to acquaint students with different aspects of Mathematics used in daily life
  • to develop an interest in students to study Mathematics as a discipline.

COURSE STRUCTURE CLASS -IX

Units

Unit Name

Marks

I NUMBER SYSTEMS

08

II ALGEBRA

17

III COORDINATE GEOMETRY

04

IV GEOMETRY

28

V MENSURATION

13

VI STATISTICS & PROBABILITY

10

  Total

80

UNIT I: NUMBER SYSTEMS
1. REAL NUMBERS (18 Periods)

1. Review of representation of natural numbers, integers, rational numbers on the number line. Representation of terminating / non-terminating recurring decimals on the number line through successive magnification. Rational numbers as recurring/ terminating decimals. Operations on real numbers.

 

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Courtesy: CBSE

CBSE Class-12 Syllabus 2018-19 (Hindi Elective)

Posted: 27 Mar 2018 12:14 AM PDT

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CBSE Class-12 Syllabus 2018-19 (Hindi Elective)

प्रस्तावना :

उच्चतर माध्यमिक स्तर में प्रवेश लेने वाला विद्यार्थी पहली बार सामान्य शिक्षा से ववशेष अनुशासन की शिक्षा की ओर उन्मुख होता है। दस वषों में विद्यार्थी भाषा के कौशलों से परिचित हो जाता है। भाषा और साहित्य के स्तर पर उसका दायरा अब घर, पास-पडोस, स्कूल, प्राांत और देश से होता हुआ धीरे-धीरे ववश्व तक फैल जाता है। वह इस उम्र में पहुुँच चुका है  देश की साांस्कृततक, सामाजजक, राजनीततक और आचर्थिक समस्याओां पर विचार-विमर्श कर सके , एक जज म्मेदार नागररक की तरह अपनी जिम्मेदारियों को समझ सके तर्था देश और खुद को सही हदशा दे सकने में भाषा की ताकत को पहचान सके। ऐसे दृढ़ भावषक और वैचाररक आधार के सार्थ जब विद्यार्थी आता है तो उसे ववमशि की भाषा के रूप में हहांदी की व्यापक समझ और प्रयोग में दक्ष बनाना सबसे पहला उद् देश्य होगा। किशोरावस्था से युवावस्था  के इस नाजुक मोड पर ककसी भी ववषय का चुनाव करते समय बच्चे और उनके अमभभावक इस बात को लेकर सबसे अचधक चचतां तत रहते हैं कक चयतनत ववषय उनके भावी कै ररयर और जीववका के अवसरों में मदद करेगा कक नहीां। इस उम्र के विद्यार्थियों में चचतां न और तनर्िय करने की प्रवृजत्त भी प्रबल होती है। इसी आधार पर वे अपने मानमसक, सामाजजक, बौद् चधक और भावषक ववकास के प्रतत भी सचेत होते हैं और अपने भावी अध्ययन की हदशा तय करते हैं। इस स्तर पर ऐजच्िक हहांदी का अध्ययन एक सृजनात्मक, साहहजत्यक, साांस्कृततक और ववमभन्न प्रयुजततयों की भाषा के रूप में होगा। इस बात पर भी बल हदया जाएगा कक तनरांतर ववकमसत होती हहांदी के अखखल भारतीय स्वरूप से बच्चे का ररश्ता बन सके। इस स्तर पर ववद्याचर्थियों में भाषा के मलखखत प्रयोग के सार्थ-सार्थ उसके मौखखक प्रयोग की कुशलता और दक्षता का ववकास भी जरूरी है। प्रयास यह भी होगा कक विद्यार्थी अपने बबखरे हुए विचारों और भावों की सहज और मौमलक अमभव्यजतत की क्षमता हामसल कर सके। इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से :

1. विद्यार्थी अपनी रुचच और आवश्यकता के अनुरूप साहित्यका गहन और ववशेष अध्ययन जारी रख सकें गे।
2. ववश्वववद्यालय स्तर पर तनधािररत हहांदी-साहित्यसे सांबांचधत पाठ्यक्रम के सार्थ सहज सांबांध स्र्थावपत कर सकें गे।
3. लेखन-कौशल के व्यावहाररक और सृजनात्मक रूपों की अमभव्यजतत में सक्षम हो सकें गे।
4. रोजगार के ककसी भी क्षेत्र में जाने पर भाषा का प्रयोग प्रभावी ढांग से कर सकें गे।
5 यह पाठ्यक्रम विद्यार्थी को सांचार तर्था प्रकाशन जैसे ववमभन्न-क्षेत्रों में अपनी क्षमता व्यतत करने का अवसर प्रदान कर सकता है।

उद् देश्य :

  • सृजनात्मक साहित्यकी सराहना, उसका आनांद उठाना और उसके प्रतत सृजनात्मक और आलोचनात्मक दृजटि का ववकास करना।
  • साहित्यकी ववववध ववधाओां (कववता, कहानी, तनबांध आहद), महत्त्वपूर्ि कववयों और रचनाकारों, प्रमुख धाराओां और शैमलयों का पररचय कराना।
  • भाषा की सृजनात्मक बारीककयों और व्यावहाररक प्रयोगों का बोध तर्था सांदभि और समय के अनुसार प्रभावशाली ढांग से उसकी मौखखक और मलखखत अमभव्यजतत करना।
  • ववमभन्न ज्ञानानुशासनों के ववमशि की भाषा के रूप में हिंदी की ववमशटि प्रकृतत एवां क्षमता का बोध कराना।
  • साहित्यकी प्रभावशाली क्षमता का उपयोग करते हुए सभी प्रकार की ववववधताओां (धमि, जातत, मलगां , वग,ि भाषा आहद) एव ां अतां रों के प्रतत सकारात्मक और सवां दे नशील व्यवहार का ववकास करना।
  • देश-ववदेश में प्रचमलत हहांदी के रूपों से परिचित कराना।
  • सचांर-माध्यमों (वप्रिां और इलेतरॉतनक) में प्रयतु त हिंदी की प्रकृति स े अवगत कराना और नवीन ववचधयों के प्रयोग की क्षमता का ववकास करना।
  • साहित्यकी व्यापक धारा के बीच रखकर ववमशटि रचनाओां का ववश्लेषर् और वववेचन करने की क्षमता हामसल करना।
  • ववपरीत पररजस्र्थततयों में भी भाषा का इस्तेमाल शाांतत के सार्थ करना।
  • अमतू ववषयों पर प्रयतु त भाषा का ववकास और कल्पनाशीलता और मौमलक चचतां न के मलए प्रयोग करना।

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Courtesy: CBSE

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CBSE Class-12 Syllabus 2018-19 (Hindi Core)

Posted: 27 Mar 2018 12:01 AM PDT

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CBSE Class-12 Syllabus 2018-19 (Hindi Core)

प्रस्तावना :

दसवीं कक्षा तक हिंदी का अध्ययन करने वाला विद्यार्थी समझते हुए पढ़ने व सुनने के साथ-साथ हिंदी में सोचने और उसे मौखिक एव लिखितरूप में व्यक्त कर पाने की सामान्य दक्षता अर्जित कर चुका होता है। उच्चतर माध्यलमक स्तर पर आने के बाद इन सभ दक्षताओीं को सामान्य से ऊपर उस स्तर तक ले जाने की आवश्यकता होत है, जहााँ भाषा का प्रयोग लभन्न-लभन्न व्यवहार-क्षेत्रों की माींगों के अनुरूप ककया जा सके। आधार पाठ्यक्रम, साहहर्ययक बोध के सार्थ-सार्थ भाषाई दक्षता के विकाश को ज्यादा महययव देता है। यह पाठ्यक्रम उन विद्यार्थियों के ललए उपयोग साबबत होगा, जो आगे विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हुए हिंदी को एक ववषय के रूप में पढ़ेंगे या ववज्ञान/सामार्जक ववज्ञान के ककस ववषय को हिंदी माध्यम से पढ़ना चाहेंगे। यह उनके ललए भ उपयोग साबबत होगा, जो उच्चतर माध्यलमक स्तर की  क्षा के बाद ककस तरह   रोजगार में लग जाएींगे। वहााँ कामकाज हिंदी का आधारभूत अध्ययन काम आएगा। र्जन विद्यार्थियों की रुर्च जनसींचार माध्यमों में होग , उनके ललए यह पाठ्यक्रम एक आरींलभक पृष्ठभूलम ननलमित करेगा। इसके सार्थ ही यह पाठ्यक्रम सामान्य रूप से तरह-तरह के साहहयय के सार्थ विद्यार्थियों के सबध को सहज बनाएगा। विद्यार्थी भावषक अलभव्यर्क्त के सूक्ष्म एवं जहिल रूपों से पररर्चत हो सकें गे। वे यर्थार्थि को अपने ववचारों में व्यवर्स्र्थत करने के साधन के तौर पर भाषा का अर्धक सार्थिक उपयोग कर पाएाँगे और उनमें ज वन के प्रनत मानव य सींवेदना एवं सम्यक् दृष्टिका विकाश हो सकेगा।

उद् देश्य :

  • इन माध्यमों और ववधाओीं के ललए उपयुक्त भाषा प्रयोग की इतन क्षमता उनमें आ चुकी होग कक वे स्वयीं इससे जुडे उच्चतर पाठ्यक्रमों को समझ सकें गे।
  • सामार्जक हहींसा की भावषक अलभव्यर्क्त की समझ।
  • भाषा के अींदर सकक्रय सयता सींबींध की समझ।
  • सृजनायमक साहहयय को सराह पाने और उसका आनींद उठाने की क्षमता का विकाश तर्था भाषा में सौंदयाियमकता उयपन्न करने वाली सृजनायमक युर्क्तयों की सींवेदना का विकाश ।
  • विद्यार्थियों के भ तर सभ प्रकार की ववववधताओीं (धम,ि जानत, ललगीं , क्षेत्र एवं भाषा सींबींध ) के प्रनत सकारायमक एवं वववेकपूर्ि रवैये का विकाश ।
  • पठन-सामग्र को लभन्न-लभन्न कोर्ों से अलग-अलग सामार्जक, सांस्कृतिक चिंताओं के पररप्रेक्ष्य में देिने का अभ्यास कराना तर्था दृर्ष्िकोर् की एकाींर्गकता के प्रनत आलोचनायमक दृष्टिका विकाश करना।
  • विद्यार्थी में स्तरीय साहहयय की समझ और उसका आनींद उठाने की स्फू नत, विकाश एवं उसमें साहहयय को श्रेष्ठ बनाने वाले तयवों की सींवेदना का विकाश ।
  • ववलभन्न ज्ञानानुिासनों के ववमिि की भाषा के रूप में हिंदी की ववलिष् प्रकृनत और उसकी क्षमताओीं का बोध।
  • कामकाज हिंदी के उपयोग के कौिल का विकाश ।
  • सींचार माध्यमों (वप्रिीं और इलेक्रॉननक) में प्रयुक्त हिंदी की प्रकृ नत से पररचय और इन माध्यमों की आवश्यकता के अनुरूप मौखिक एवं लिखितअलभव्यर्क्त का विकाश ।
  • विद्यार्थी में ककस भ अपररर्चत ववषय से सींबींर्धत प्रासींर्गक जानकारी के स्रोतों का अनुसींधान और व्यवर्स्र्थत ढींग से उनकी मौखिक और लिखितप्रस्तुनत की क्षमता का विकाश ।

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